डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के साथ ही अपना टैरिफ चाबुक साथ ले आए हैं और उसे पूरी दुनिया पर मनमाने ढंग से चला हैं. अमेरिकी कोर्ट ने उन्हें इस बात के लिए लताड़ा भी. मगर ट्रंप कहां मानने वाले हैं कुछ न कुछ बयान दिए जाते रहते हैं. उन्होंने भारत पर भी 50 फीसदी का टैरिफ लगा दिया है. इससे टेक्सटाइल से लेकर देश का ऑटो सेक्टर को झटका मिल रहा है. साथ ही अब सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट इंडस्ट्री यानी आईटी इंडस्ट्री को भी टैरिफ का डर सता रहा है. 283 अरब डॉलर से ज्यादा की इंडस्ट्री टैरिफ के खौफ में है.
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले ही एआई और ग्लोबल अनसर्टेनिटी से जूझ रही इस इडस्ट्री को टैरिफ लगने का डर है. यह टेक्नोलॉजी आउटसोर्सिंग इंडस्ट्री करीब 283 अरब डॉलर की है, जिसमें टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इंफोसिस, एचसीएलटेक और विप्रो जैसी कंपनियां शामिल हैं. जो कि वर्तमान में अपने रेवेन्यू का 60% से अधिक अमेरिका से प्राप्त करता है.
भारत को होगा दोहरा नुकसान
अगर अमेरिकन सरकार सर्विसेज के एक्सपोर्ट पे टैरिफ लगाती है, तो ये डबल टैक्सेशन का कारण बन सकता है क्योंकि इंडियन सॉफ्टवेयर सर्विस प्रोवाइडर्स पहले से ही अमेरिका में हैवी टैक्सेस देते हैं और अगर वीजा रूल्स को और सख्त किया गया, तो अमेरिका या उसके आसपास के जगहों में डिप्लॉयमेंट्स की लागत भी जल्दी से बढ़ सकती है.
लेकिन अभी तक अमेरिकन सरकार ने ऑफिशियली ऐसे किसी प्लान या विचार का खुलासा नहीं किया है. यूएस प्रेसिडेंट के ट्रेड और मैन्युफैक्चरिंग मैटर्स के सीनियर एडवाइजर पीटर नवारो ने इस हफ्ते सोशल मीडिया पे एक कमेंट रीपोस्ट किया, जिसके बाद ये डर बढ़ गया है कि सारी आउटसोर्सिंग और फॉरेन रिमोट वर्कर्स पे टैरिफ लग सकते हैं.
ट्रंप के तेवर हो रहे ठंडे
हालांकि, अप्रैल महीने के बाद से ही सारी दुनिया को टैरिफ को जद में झोंकने वाली राष्ट्रपति ट्रंप के तेवर अब ठंडे पड़ते दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैं पीएम मोदी का हमेशा दोस्त बना रहा रहूंगा वह एक शानदार प्रधानमंत्री हैं.