जीएसटी रिफॉर्म हो चुका है. अब देश में आम लोगों के लिए सिर्फ दो ही जीएसटी स्लैब होंगी. पहली स्लैब 5 फीसदी की होगी दूसरी स्लैब 18 फीसदी की भी होगी. वैसे एक अतिरिक्त स्लैब 40 फीसदी की भी रखी गई है. जिसमें सिन प्रोडक्ट्स, लग्जरी और प्रीमियम आइटम्स को रखा गया है. वैसे आम लोगों को फायदे के साथ ये भी बात सामने आई कि सरकार को करीब 48 हजार करोड़ रुपए के रेवेन्यू का नुकसान होगा. लेकिन अभी तक किसी ने इस बात की जानकारी नहीं दी थी कि देश की इकोनॉमी को कितना फायदा या नुकसान होगा?
शनिवार को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव की ओर से कहा गया कि जीएसटी रिफॉर्म से देश की इकोनॉमी को बड़ा फायदा होने जा रहा है. ये आंकड़ा करीब 20 लाख करोड़ रुपए हो सकता है. वहीं उन्होंने ये भी कहा कि इस रिफॉर्म का कनेक्शन डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ से बिल्कुल भी नहीं है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर उन्होंने किस तरह की जानकारी दी है.
ट्रंप के टैरिफ से रिफॉर्म का संबंध नहीं
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि 2025-26 के बजट में इनकम टैक्स में राहत के साथ-साथ जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाना भारत की इकोनॉमी को “एक नए स्तर” पर ले जाएगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि इनडायरेक्ट टैक्सेशन में सुधार अमेरिकी शुल्कों से संबंधित नहीं हैं. वैष्णव ने भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जीएसटी रिफॉर्म की तैयारी लगभग डेढ़ साल पहले, अमेरिकी चुनावों से काफी पहले शुरू हो गई थी. यह प्रधानमंत्री मोदी के सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के स्पष्ट लक्ष्य का हिस्सा था. नई जीएसटी व्यवस्था देश के लिए एक परिवर्तन यात्रा की शुरुआत का प्रतीक होगी. डोनाल्ड ट्रंप के शुल्कों पर, वैष्णव ने कहा कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है.
इकोनॉमी को होगा 20 लाख करोड़ का फायदा
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर इस जीएसटी रिफॉर्म से देश की इकोनॉमी को मितना फायदा होने का अनुमान है. ये बात किसी से छिपी नहीं है कि देश की इकोनॉमी कंजंप्शन पर डिपेंड करती है. देश की इकोनॉमी में कंजंप्शन की हिस्सेदारी 61 फीसदी से ज्यादा की है. जीएसटी रिफॉर्म से कंजंप्शन में इजाफा होता है तो देश की इकोनॉमी को फायदा होगा. संभावित प्रभाव की व्याख्या करते हुए, मंत्री ने कहा कि आज हमारी जीडीपी लगभग 330 लाख करोड़ रुपए की है, जिसमें से लगभग 202 लाख करोड़ रुपए की खपत है. अगर खपत में केवल 10 फीसदी की भी वृद्धि होती है, तो इसका मतलब होगा कि जीडीपी में 20 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त योगदान होगा.